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थूक जिहाद

      विश्व में इस्लाम का राज कायम करने के लिए हज़रत पैगंबर मुहम्मद ने गैर-मुस्लिमों के साथ किए जाने वाले लूट, हत्या, शोषण, बलात्कार, धोखा जैसे हर कार्य को “जिहाद” का नाम दिया । जिहाद के तरीकों में “लव जिहाद”, “थूक जिहाद”, “लैंड जिहाद”, “जनसंख्या जिहाद”, व्यापार जिहाद” के साथ साथ एक यह “थूक जिहाद” भी है जिसके बारे में यह लेख है । इसमें मुस्लिम मानसिकता यह है कि किसी भी “गैर-मुस्लिम’ या “काफिर” को यदि कोई भी खाने या पीने की वस्तु देने से पहले मुस्लिम व्यक्ति को उसमें थूकना होता है और उसके बाद उस वस्तु को खाने अथवा पीने के लिए देता है । लेकिन एकाएक इस घृणित और गंदगी भारी इस्लामिक मानसिकता में कुछ और अधिकता आ गई है जिसमें यह भी पता चला है कि केवल खाने पीने की वस्तुओं मे ही नहीं बल्कि मसाज पार्लरों में क्रीम में, मेहंदी लगाने वाले मेहंदी में, घरों में 20-20 लीटर की बोतलों में पानी पहुंचाने वाले और यहाँ तक की आपके कपड़े इस्तरी (प्रेस) करने वाले मुस्लिम अपने थूक का प्रयोग करके ही काफिरों (गैर-मुस्लिम) को अपने अपने उत्पाद अथवा सेवाये देते हैं । लेकिन अब तो यह मामला और भी गंभीर हो गया है जब अभी पिछले महिनें सितंबर, 2024 में लोनी, गाजियाबाद में खुशी जूस कॉर्नर नाम की एक दुकान में उसके मुस्लिम मालिक आमिर खान द्वारा जूस मे पेशाब मिलाकर लोगों को पिलाया जा रहा था जिसे वहाँ कुछ लोगों ने रंगे हाथों पकड़ लिया और पुलिस को बुलाया तो दुकान में पेशाब से भारी हुई एक केन बरामद हुई । वहीं एक मुस्लिम होटल की एक घटना और सामने आई जिसमें उस होटल के किचन में छापा मारने पर पता चला की होटल का सारा खाना गटर के पानी से बनाया जा रहा है । 

मुसलमान अर्थात मलेच्छ

      असल में इस्लाम की धार्मिक पुस्तक “हदीस” में “गजवा-ए-हिन्द” का वर्णन करते हुए लिखा हैं कि जन्नत के दरवाजे भारत पर इस्लाम का राज होने के बाद ही खुलेंगे । 7वीं सदी में मुसलमानों का भारत मे आगमन हुआ था और तब भारतीयों इन्हें “मलेच्छ” नाम दिया । जिसके कई कारण थे जैसे कि अरब के रेगिस्तान से आए मैले-कुचैले लोग जो रेगिस्तान में पानी की कमी के कारण महीनों बिना नहाए रह सकते थे, पेड़ पौधों की कमी के कारण मांसाहार पर ही निर्भर रहना, जहां से इनका इस्लामिक काफिला निकलता था उस रास्ते मे पड़ने वाले गांवों मे ये पुरुषों का भीषण रक्तपात और महिलाओं का बलात्कार कर उन्हें अपने साथ गुलाम बनाकर रख लेते थे और छोटे छोटे बच्चों को अपने अपने भालों और तलवारों की नोक पर टांग लेते थे । इनका ऐसा रूप देखकर भारतीय समाज ने इन्हें मलेच्छ नाम दिया और यह भी मान्यता प्रचलित हो गई कि यदि किसी हिन्दू के ऊपर इन मलेच्छों के हाथ से पानी का छींटा भी यदि किसी के ऊपर पड़ जाता था तो वह व्यक्ति जाति से बाहर कर दिया जाता था । इस प्रचालन के कारण युद्ध मे सम्मिलित हुए उन लोगों के सामने धर्म संकट खड़ा हो जाता था जो युद्ध मे पराजित होने पर बंदी बना लिए जाते थे । उनमें से अधिकतर बंदियों की तो हत्या ही कर दी जाती थी लेकी जब किसी कारणवश अथवा संधि के कारण जब उन्हे छोड़ा जाता था तब उन्हे समाज स्वीकार नहीं करता था । 
हिन्दू समाज में यह धारणा अंग्रेजों के शासन के समय तक रही जिसे स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर ने सेल्यूलर जेल में तोड़ा और धर्मांतरित हुए लोगों की “घर वापसी” का मार्ग प्रशस्त किया । जिसे आगे चल कर आर्य समाज के द्वारा चलाए गए शुद्धि आंदोलन ने विस्तार दिया । 

थूक जिहाद क्यों ?

      हिन्दुओं ने मुस्लिम समाज को और उनके तौर तरीकों को देखते हुए स्वयं को उनसे दूर रखने का भरपूर प्रयास किया किन्तु जब स्वतंत्रता के आंदोलन में काँग्रेस और गांधी जी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता का राग अलापना शुरू किया तो उस समय के एक प्रभावशाली मुस्लिम नेता जियाउद्दीन रहमान ने एक प्रचलन को बढ़ावा दिया कि यदि कोई मुस्लिम किसी हिन्दू को खाने या पीने का सामान देता है तो उसमें थूक कर दे । इससे उस हिन्दू का शुद्ध मानस भ्रष्ट हो जाएगा और इस बात का पता चलने पर वह स्वयं को हीन महसूस करेगा । यह इस्लाम की एक मनोवैज्ञानिक चाल थी । क्योंकि जो हिन्दू समाज अपनी साफ सफाई और शुद्धता को स्थिर रखने के लिए किसी भी मुसलमान के हाथ का बना तो दूर की बात है वह तो किसी मुसलमान के साथ बैठ कर सात्विक खाना खाने से भी परहेज करता था । इसलिए अपनी गंदी और घृणित मानसिकता के चलते मुसलमानों को मुल्ला मौलवी यह पाठ पढ़ाते आ रहे हैं क्योंकि इस्लाम में फतवे वापस नहीं लिए जाते ।
      आप सभी को यह जानकारी देने के बाद विश्वसनीयता और प्रामाणिकता के लिए कुछ विडिओ और समाचार दिए हैं जिन्हें आप स्वयं देख सकते हैं । 

॥ जय श्री राम ॥ 

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